Jana Gana Mana: A Timeless Anthem That Echoed First on December 27, 1911


 

              "जन गण मन": 1911 में पहली बार गूंजा राष्ट्रगान

*जनवरी 27, 1911 को, "जन गण मन" की आद्य ध्वनियाँ कोलकाता में पहली बार गूंजीं, जिससे भारत के राष्ट्रगान का आदान-प्रदान हुआ। इस प्रमुख गाने की रचना रबींद्रनाथ टैगोर ने की थी, और इसका इतिहास और राष्ट्रभक्ति से भरा है।

सृष्टि: वर्ष था 1911, और ब्रिटिश राज अपने चरम पर था। राजा जॉर्ज V का स्वागत करने के लिए दिल्ली दरबार में विशेष सत्र आयोजित किया गया था। रबींद्रनाथ टैगोर, पहले से ही प्रमुख कवि, से राजा को समर्पित एक गाना रचने के लिए कहा गया था। हालांकि, टैगोर, भारत की स्वतंत्रता के प्रशंसक, ने इस अवसर का उपयोग करके कुछ ऐसा बनाया जो राजवंश की पूजा से परे था।

काव्यिक श्रेष्ठता: टैगोर की काव्यशक्ति जीवंत हो गई जब उन्होंने "जन गण मन" के पंक्तियाँ बंगाली में लिखीं। यह पंक्तियाँ, गहरे अर्थ से भरी हुई, ने किसी राजा की पूजा नहीं, बल्कि भारत की विभिन्न, एकजुट आत्मा की श्रद्धांजलि अर्पित की। यह राष्ट्रगान ने भारत के समृद्ध सांस्कृतिक वस्त्र की सार को और इसके लोगों की आकांक्षाओं को पकड़ लिया।

ऐतिहासिक अनावरण: 1911 के दिसम्बर 27 को, कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में, "जन गण मन" को पहली बार प्रस्तुत किया गया। एक कोयरा द्वारा गाया गया यह राष्ट्रगान के पंक्तियाँ ह्रदय को छू गए और राष्ट्रीय गर्व की भावना को प्रोत्साहित किया। किसी को नहीं पता था कि यह संगीतन मुक्ति की स्त्री के लिए एक आवज बनेगा।

समापन: "जन गण मन" बस एक गाना नहीं है; यह एक धुन है जो भारत की आत्मा, विविधता, और एकता को समाहित करती है। हम इसे दिसम्बर 27 को उसके पहले प्रस्तुति की स्मृति में न भूलें, बल्कि इसकी पंक्तियों को गर्व से गूंथें, क्योंकि यह एक राष्ट्र की धड़कन का प्रतीक है जो सामंजस्य से गाता है, "जय हे, जय हे, जय हे!"

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